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नई दिल्ली रिकी पॉन्टिंग (Ricky Ponting) का स्पिन गेंदबाजी को सख्त हाथों से खेलना और 2001 सीरीज में उनके खिलाफ किए गए प्रदर्शन से मिली मानसिक बढ़त के कारण भारत के ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी को लगातार परेशान करने में सफल रहे। भारत के लिए 103 टेस्ट और 417 विकेट लेने वाले हरभजन (Harbhajan) ने टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में दूसरे स्थान पर काबिज पॉन्टिंग (Ponting) को 10 बार आउट किया है। हरभजन हालांकि पॉन्टिंग का काफी सम्मान करते हैं, सिर्फ एक बल्लेबाज के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और युवाओं को कोच के तौर पर भी। इन दोनों ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) का ड्रेसिंग रूम साझा किया है। 'पॉन्टिंग महान खिलाड़ी' हरभजन ने शुक्रवार को कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि वह इस खेल को खेलने वाले महान खिलाड़ियों में से एक हैं। वह हमेशा इस खेल को खेलने वाले सर्वकालिक महान खिलाड़ी के तौर पर याद किए जाएंगे। मैंने जब उन्हें कुछ बार आउट किया तो मुझे लगा था कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करते समय उनके बराबर हूं।’ पॉन्टिंग की तकनीक में कुछ खामियां हरभजन ने कहा कि उन्होंने पॉन्टिंग में कुछ तकीनीक खामियां देख ली थीं। 40 साल के हरभजन ने कहा, ‘मैंने देखा था कि वह जब आगे आकर डिफेंस करते हैं तो वह गेंद को हल्के हाथों से नहीं खेलते हैं। मैंने उनके डिफेंस में देखा था कि वह सख्त हाथों से गेंद पर आते हैं। जो गेंद थोड़ी ज्यादा उछाल लेती है तो वह उनके बल्ले के ऊपरी हिस्से पर लगती है और इसने मुझे हमेशा उन्हें बैट-पेड और शॉर्ट लेग या बैकवर्ड शॉर्ट लेग पर कैच आउट कराने का मौका दिया। एक बार जब मुझे पता चल गया कि वह गेंद को डिफेंड करने में ज्यादा सहज नहीं होते तो मैं उनकी कमजोरी पर ही खेलता गया।’ हरभजन ने बताई पॉन्टिंग की तकनीक में खामी हरभजन ने कहा कि एक संपूर्ण बल्लेबाज के लिए मजबूत डिफेंस होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘आपके पास हर तरह के शॉट हो सकते हैं, लेकिन आपका डिफेंस मजबूत है तो आप एक संपूर्ण बल्लेबाज बन जाते हो। जब वह तेज गेंदबाजों को खेलते थे तो कभी नहीं लगता था कि वह वह सख्त हाथों से खेल रहे हैं, लेकिन स्पिनरों के खिलाफ आपको थोड़ा हल्के हाथों से खेलना होता है। मुझे लगता था कि वह जल्दी करेंगे और गेंद उनके ग्लव्स पर लगेगी। मैंने 2001 की सीरीज में उन्हें चार-पांच बार आउट किया था।’ पॉन्टिंग पर बनाई मानसिक बढ़त ऑफ स्पिनर ने कहा, ‘इसके बाद मैं जब भी उनके खिलाफ खेला हूं तो यह मानसिक खेल बना गया था। जब आप किसी बल्लेबाज पर लगातार आउट होते हो तो यह हमेशा आपके दिमाग में चलता है। चाहे आप 130 पर क्यों न खेल रहे हो, आप हमेशा सोचते हो कि यह गेंदबाज आया है, यह मुझे आउट न कर दे। यह शायद उनके दिमाग में चलता था। शायद यह मेरे लिए अच्छा था। मेरे दिमाग में चलता था कि मैं उन्हें आउट कर सकता हूं। मुझे लगता था कि स्थितियां मायने नहीं रखतीं, विकेट मायने नहीं रखता, मैं उन्हें आउट कर सकता हूं, तो यह मेरे लिए काम करता था।’ पॉन्टिंग का करता हूं सम्मान हरभजन का कहना है कि पॉन्टिंग के खिलाफ उनकी सफलता का यह मतलब नहीं है कि पॉन्टिंग महान बल्लेबाज नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं जितने खिलाड़ियों के साथ खेला उनमें से वह सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर मैं उनका काफी सम्मान करता हूं। हम जब एक दूसरे के खिलाफ खेलते थे तो हमारे बीच प्रतिद्वंदिता होती थी, लेकिन जब हम एक साथ मुंबई इंडियंस के लिए खेले, उन्होंने हमें पहला आईपीएल खिताब दिलाने में मदद की।’ पॉन्टिंग से कभी नहीं की इस पर चर्चा इन दोनों ने हालांकि मुंबई इंडियंस के कैम्प में कभी भी अपनी प्रतिद्वंद्विता पर चर्चा नहीं की। ऑफ स्पिनर ने कहा, ‘हमने कभी बैठकर हमारे बीच की प्रतिद्वंद्विता या विकेटों पर चर्चा नहीं की। हम जब एक-दूसरे के खिलाफ खेलते थे तो बात तक नहीं करते थे। लेकिन जब हम मुंबई इंडियंस में खेलते थे तो हम इस बात पर चर्चा नहीं करते थे कि मैं उन्हें कैसे आउट करता हूं या वो कैसे मुझे खेल नहीं पाते हैं। वह वहां मेरी मदद करते थे।’ कोच के तौर पर भी पॉन्टिंग की तारीफ दाएं हाथ के गेंदबाज ने कहा कि पॉन्टिंग के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि उन्हें पता है कि अनुभवी खिलाड़ियों में से उनका सर्वश्रेष्ठ कैसे निकाला जाता है। उन्होंने कहा, ‘वह मुंबई इंडियंस के कोच के तौर पर बेहतरीन थे। उनके कोच रहते हमने खेलना का लुत्फ लिया। वह वो हैं जो कई खिलाड़ियों को रास्ता दिखाते हैं। वह युवाओं के साथ अच्छे से रहते हैं और सीनियर खिलाड़ियों को उनका समय देते हैं। वह आपसे कहेंगे कि आपको पता है कि क्या करना है, साथ ही वह हमें जिम्मेदारियां देंगे।’
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