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Tuesday, July 30, 2019

CWG: भारत सोचे बहिष्कार- क्या कहतें है ऐथलीट्स

जसप्रीत साहनी, नई दिल्लीपिछले महीने, कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन ने कॉमनवेल्थ खेलों में तीन नए खेलों को शामिल करने का फैसला किया और एक खेल जिस पर गाज गिरी वह था शूटिंग। इस फैसले ने भारतीय ओलिंपिक असोसिएशन (आईओए) को काफी नाराज कर दिया। अब बात यहां तक बिगड़ चुकी है कि आईओए ने इन खेलों का बहिष्कार तक करने की योजना बना ली है। शूटिंग एक ऐसा खेल है, जिसमें भारत ने परंपरागत रूप से काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत ने 2018 गोल्ड कोस्ट CWG में जीते कुल 66 पदकों में से 16 पदक शूटिंग में ही जीते थे। इन खेलों में भारत के कुल पदकों में शूटिंग का योगदान देखें, तो यह 25 फीसदी था। अगर भारत इन खेलों से बहिष्कार का फैसला लेता है तो इसका एक अन्य पहलू यह होगा कि शूटिंग के अलावा दूसरे खेलों के खिलाड़ी, जो सालों से इन खेलों की तैयारी कर रहे हैं वह भी अपना जौहर दिखाने से चूक जाएंगे। ऐसे में उनके सपनों का क्या होगा? हमारे सहयोगी टाइम्सऑफइंडिया.कॉम ने दूसरे खिलाड़ियों से के इस फैसले पर उनकी राय और भावनाएं जानी। यहां पेश है इस मसले पर खिलाड़ियों से की गई चर्चा के खास अंश... अचंता शरत कमल (टेबल टेनिस) सबसे पहले, मुझे लगता है कि आईओए सभी खेलों की तरफ से फैसला कर रहा है। अगर आईओए अन्य खेलों के लिए भी बॉयकॉट करता है तो यह थोड़ा कड़ा फैसला होगा। लेकिन शूटिंग के चलते वह ऐसा करना चाहता है। अगर वह ऐसा फैसला लेता है, तो मुझे नहीं लगता कि हमारे पास कोई विकल्प है। लेकिन दूसरी ओर देखें, तो CWG भारत के लिए मेडल जीतने का सबसे बड़ा मंच है। खास तौर पर CWG चैंपियनशिप में जहां भारत ने टेबल टेनिस में सभी गोल्ड मेडल जीते, भारत कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का दावा मजबूत है। फिलहाल ओलिंपिक स्तर पर पदक जीतना मुश्किल है। मैं यह नहीं कहूंगा कि यह असंभव है लेकिन यह मुश्किल है। तो यह कॉमनवेल्थ गेम्स हमें बहुत आत्मविश्वास देते हैं। मैं नहीं जानता कि यह सही है या गलत लेकिन आईओए ने इस स्टैंड इसलिए लिया है क्योंकि शूटिंग भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण खेल है। हम इसमें काफी पदक जीतते हैं। तो अगर वह इस पर कोई फैसला लेते हैं तो बेशक हम उसका समर्थन करना होगा। लेकिन जहां तक टेबल टेनिस की बात है तो हम देश के लिए पदक जीतने का मौका चूक जाएंगे। CWG टेबल टेनिस के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह काफी कठिन फैसला होगा क्योंकि कई अन्य खेल, बजट और काफी कुछ इन पदकों पर निर्भर करता है। जब हमने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में अच्छा प्रदर्शन किया था हमारा बजट बढ़ा था। सरकार ने हमें और समर्थन दिया था। तो इन चीजों से काफी मदद मिलती है। तो मुझे उम्मीद है कि पूरे खेल का बहिष्कार करने के अलावा भी कोई रास्ता निकलेगा। अमित पंघल (बॉक्सिंग) यह CWG काफी महत्वपूर्ण हैं लेकिन हम वही करेंगे जो हमारा खेल विभाग तय करेगा। शूटिंग ने भारत के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। तो मेरे हिसाब से स्टैंड लेकर उसे शामिल करने का प्रयास करवाना ही सही फैसला है। सरकार का समर्थन भी जरूरी है। लेकिन मुझे अब भी लगता है कि हम कॉमनवेल्थ गेम्स से बाहर नहीं होंगे क्योंकि आईओए सभी खेलों के सभी ऐथलीट्स के बारे में विचार करेगा। अभिनव बिंद्रा (शूटिंग)ओलिंपिक गोल्ड मेडल विजेता अभिनव बिंद्रा ने अपने टि्वटर हैंडल पर लिखा- बहिष्कार से आपका प्रभाव नहीं बढ़ता। यह सिर्फ आपको अप्रासंगिक बना देता हैं और खिलाड़ियों को सजा मिलती है। बेहतर होता अगर आईओए अभियान चलाकर राष्ट्रमंडल खेलों की समितियों में समर्थन हासिल करता और भविष्य में निशानेबाजी को कोर खेलों की सूची में शामिल कराने का प्रयास करता। हरेंद्र सिंह (भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच) मैं आईओए से भी एक कदम आगे जाकर कहूंगा कि मैं हर चार साल में CWG में खेलकर खुद को क्यों याद दिलाऊं कि कभी ब्रिटेन ने मेरे देश पर राज किया था। अगर आप देखें तो हॉकी या कुछ अन्य खेलों को छोड़ दें तो बड़े ऐथलीट CWG में भाग नहीं लेते हैं। मैं CWG में कॉमनवेल्थ नाम शामिल होते हुए खेलने के खिलाफ हूं। ...तो मैं नरेंद्र बत्रा की अध्यक्षता वाले आईओए के स्टैंड का पूरी तरह समर्थन करता हूं। हमें खेलों का बायकॉट करना चाहिए। आज वह शूटिंग के साथ ऐसा कर रहे हैं कल वह टेबल टेनिस के साथ ऐसा करेंगे। यह लिस्ट बढ़ती ही जाएगी। दुती चंद (ऐथलीट)हम देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। तो अगर देश नहीं जाएगा तो हम भी नहीं जाएंगे। हम वही करेंगे जो सरकार तय करेगी। मैं इस पर कुछ नहीं कह सकती। एक ऐथलीट के तौर पर मैं सिर्फ इतना ही कह सकती हूं कि सरकार मुझे जहां भेजना चाहेगी मैं जाऊंगी। जैसे सीमा पर सरकार सैनिकों को तैनात करती है ऐसा ही देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों के साथ होता है।


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