नई दिल्ली भारत के पूर्व कप्तान और महान सलामी बल्लेबाज गावसकर मानते हैं कि सौरभ अपने समय में भारत के महानतम बल्लेबाजों में से एक रहे हैं क्योंकि विपक्षी टीम चाहें कितनी भी मजबूत क्यों न हो, सौरभ ने कभी भी कदम पीछे नहीं हटाए। यह पूछे जाने पर कि क्या वीरेंदर सहवाग अपने समय के महानतम बल्लेबाज हैं? ने कहा, ‘इस सदी की शुरुआत से ही भारत के पास कई दिग्गज बल्लेबाज रहे हैं। इनमें सौरभ गांगुली का नाम सबसे ऊपर रखना चाहूंगा क्योंकि विपक्षी टीम चाहें कितनी भी मजबूत क्यों न हो, सौरभ ने कभी कदम पीछे नहीं हटाए। सौरभ की कप्तानी और उनकी बल्लेबाजी का चरम भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए महान दिन थे। इसके अलावा एक खिलाड़ी के तौर पर अनिल कुम्बले को नहीं भूलना चाहिए और वह ऐसा समय था, जब महेंद्र सिंह धोनी एक खिलाड़ी के तौर पर उभर रहे थे।’ यह पूछे जाने पर कि क्या आज के खिलाड़ी उस वैक्यूम का फायदा उठा रहे हैं, जो बोर्ड और कमजोर सीओए के कारण पैदा हुआ है। गावसकर ने कहा, ‘इससे दूसरे क्रिकेट बोर्ड्स को फायदा हो रहा है। जगमोहन डालमिया से पहले का बीसीसीआई कमजोर था। उस समय इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया का दबदबा था। इसके बाद बीसीसीआई मजबूत हुआ और नतीजा हुआ कि उसकी आवाज सुनी जाने लगी। शरद पवार और एन. श्रीनिवासन ने उसे और मजबूत किया लेकिन अब भारतीय क्रिकेट कमजोर हुक्मरानों की दया पर निर्भर है।’ गावसकर विश्व कप के दौरान और उसके बाद चयन समिति की भूमिका को लेकर काफी नाराज हैं। गावसकर के मुताबिक के नेतृत्व वाली चयन समिति कड़े और अहम फैसले नहीं ले पा रही है। गावसकर को इस बात का गुस्सा है कि वेस्ट इंडीज दौरे के लिए कप्तान का चयन बिना किसी बैठक के हो गया। गावसकर ने कहा, ‘इससे यही सवाल उठता है कि या तो चयन समिति कप्तान कोहली के इशारे पर काम कर रही है या फिर चयन समिति कप्तान को खुश करने के लिए काम कर रही है।’ गावसकर ने कहा, ‘चयन समिति में बैठे लोग कठपुतली हैं। पुनर्नियुक्ति के बाद कोहली को मीटिंग में टीम को लेकर अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया। प्रक्रिया को बाईपास करने से यह संदेश गया कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर किया गया जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा जताया था और नतीजा हुआ था कि टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी।’ बीसीसीआई के एक तबके का यह मानना था कि 2023 विश्व कप के ध्यान में रखते हुए तीनों फॉरमेट के लिए अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम हो सकता था और इससे आने वाले समय में टीम को फायदा होता। अपने करियर के सबसे निराशाजनक पल और अपनी सबसे अच्छी टेस्ट पारी के बारे में पूछे जाने पर गावसकर ने कहा, ‘भारत जब भी हारा है, मेरे करियर का निराशाजनक पल रहा है। खासतौर पर जब हम ऐसे मैचों में हारे हैं, जिन्हें हम जीत सकते थे तो मुझे अधिक निराशा हुई है। अगर टीम हार जाती है तो व्यक्तिगत प्रदर्शन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। जहां तक मेरी श्रेष्ठ पारी का सवाल है तो 1971 में मैनचेस्ट में खेली गई 57 रनों की पारी मेरी श्रेष्ठ है। यह पारी उस विकेट पर खेली गई थी, जहां काफी तेज हवा बह रही थी और अंधविश्वास के कारण मैं जम्पर पहनने की स्थिति में नही था।’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें आईपीएल में खेलना पसंद होता और क्या कभी कैरी पेकर ने डब्ल्यूएससी के लिए उन्हें सम्पर्क किया था? गावसकर ने कहा, ‘हां आईपीएल में खेलकर मुझे खुशी होती। 20 ओवर फील्डिंग करना कितना अच्छा है। जहां तक वर्ल्ड सीरीज की बात है तो हां पैकर ने मुझे इसके लिए निमंत्रण दिया था। उस समय तीसरा सीजन चल रहा था लेकिन मैंने देश के लिए खेलना चुना था।’
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